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Control of life (जीवन का कंट्रोल )


आपके जीवन मे होने वाली सभी क्रियायों या घटनाओं  पर सिर्फ दो  ही प्रकार का control हो सकता है :
1. या तो वह कार्य / घटना आप अपनी सोची समझी योजना के तहत करते हैं,यहाँ आप स्वयं अपने जीवन को कंट्रोल करते हैं ,
2. या ईश्वर आपको उन परिश्थितियों मे डाल  देता है जहां आपके द्वरा किया गया  कार्य  ही एक मात्र आपके लिए विकल्प होता है , यहाँ ईश्वर आपके जीवन को कंट्रोल करता है , आप जीवन मे प्रत्येक वक्त  सिर्फ " काल  ,परिस्थिति  या लोगों'' द्वारा धकेले जाते हैं ,यहाँ आप सिर्फ एक भीड़ का हिस्सा हैं जो आपको अपने साथ धकेले ले जाती है ,

ऊपर के जो मैंने स्टेप्स आपको बताएं हैं वो चरणबद्ध हैं ,इसी बात को मैं थोड़ा और आसान शब्दों मे कहूँ तो ,
1.यदि आप अपने जीवन का कंट्रोल अपने हाथों मे रखते हैं तो ईश्वर अपनी बारी का इंतजार करता है ,वो कहता है की तू जी ले अपने अनुसार  ,मैं सिर्फ तेरा हिसाब करूंगा तेरे कर्मों के हिसाब से ,अर्थात आपके अच्छे कर्म आपको अच्छे परिणाम को देते हैं और बूरे कर्म बुरे परिणाम को देते हैं ,इसमे आपके अच्छे /रचनात्मक  कर्मों के साथ ईश्वर भी मदद करता है , इस जीवन मे आप अर्जुन की भूमिका मे होते हैं ,इसमे आपकी जीत निश्चित है ,
इस कैटेगरी मे पूरे ब्रह्मांड मे केवल 1% लोग ही आ पाते हैं

2. जब आपके जीवन को ईश्वर कंट्रोल करता है ,और आपके जीवन के लिए आपकी कोई इच्छा नहीं होती तो आपके साथ घटने वाली सारी घटनाएँ ,काल ,समय ,परिस्थिति का गुलाम होती हैं ,आप सिर्फ एक उदासीन मानव का जीवन जीते हैं ,जो सिर्फ दैनिक जीवन जीता है ,यानि वह कुछ भी अलग नहीं कर पाता ,
इस कैटेगरी मे पूरे ब्रह्मांड मे सभी 99% लोग आते हैं ,

यदि जीवन को एक अलग मुकाम तक पहुंचाना है तो आपको कैटेगरी 1 मे आना होगा ,अब ये आपका निर्णय है की आप कब तक 99% लोगों मे रहना चाहते हैं ,
अपने जीवन का कंट्रोल अपने हाथ मे रखिए ,अपनी खुद की योजनाए बनाइये ,उन्ही का पालन करिए,ईश्वर  को सदैव अपने साथ रखिए,अपने लक्ष्यों का निर्धारण अपने आप करें और उनको पूरा करने का जिम्मा भी स्वयं लें ,फिर देखिये जीवन बोझ नहीं शौक लगने लगेगा ,थकान और आलस आपको कभी नहीं होगा ,सदैव आप एक ऊर्जावान महसूस करेंगे क्योंकि सबकुछ तो आपके अनुसार ही हो रहा होगा I

by
Mrityunjay sharma


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