याद रखें मित्रों ,आपके जीत की निश्चितता इस बात पर निर्भर करती है की आप कितना अपने आप से जिद्दी हैं ,"यहां मैं एक बात और कहना चाहूंगा की यदि आपको इस पूरे ब्रह्माण्ड में कोई हरा सकता है तो आप स्वयं हैं "इस कथन से मैं आपको यह कहना चाहता हूँ की आपको अपने विचारों की सीमा ,अपने शारीरिक शक्तियों की सीमा से एक कदम और आगे चलने की ,अपने आप से जिद्द करनी पड़ेगी ,इस जिद्द को जितने वाले ही जीत की माला का अभिनन्दन करते हैं ,
हमारे विचार ,हमारी शारीरिक क्षमताएं ,हमारा मन तब हार को स्वीकार करने लगता है जब उसे किसी प्रकार का कस्ट महसूस होता और इस moment में हमारे मन में कुछ इस प्रकार के विचार आने लगते हैं ,जैसे "ये बहुत बड़ा काम है, मेरे लिए असंभव है, ये मैं नहीं कर पाऊंगा etc "जब इस प्रकार के विचार आने लगे तो समझिये अब आपको आपकी जिद्द ही सफलता दिला सकती है और यही सही समय है अपने आप से जिद्द करने का ,
अब आप अपने मन में सिर्फ इन विचारों को लाने का प्रयास करें जैसे "ये बहुत छोटा कार्य है ,मेरे सिवा इसे कोई नहीं कर सकता ,ये मैं करके रहूँगा "फिर देखिए आपका climax कैसे change होता है ,
विश्वास नहीं तो आजमा कर देखें ,
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Mrityunjay sharma
हमारे विचार ,हमारी शारीरिक क्षमताएं ,हमारा मन तब हार को स्वीकार करने लगता है जब उसे किसी प्रकार का कस्ट महसूस होता और इस moment में हमारे मन में कुछ इस प्रकार के विचार आने लगते हैं ,जैसे "ये बहुत बड़ा काम है, मेरे लिए असंभव है, ये मैं नहीं कर पाऊंगा etc "जब इस प्रकार के विचार आने लगे तो समझिये अब आपको आपकी जिद्द ही सफलता दिला सकती है और यही सही समय है अपने आप से जिद्द करने का ,
अब आप अपने मन में सिर्फ इन विचारों को लाने का प्रयास करें जैसे "ये बहुत छोटा कार्य है ,मेरे सिवा इसे कोई नहीं कर सकता ,ये मैं करके रहूँगा "फिर देखिए आपका climax कैसे change होता है ,
विश्वास नहीं तो आजमा कर देखें ,
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