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Swami vivekanand ji ke oorjavaan vichaar in hindi

स्वामी विवेकानंद जी के ऊर्जावान विचार

    स्वामी विवेकानंद जी का असली नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था I इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता (भारत) में हुआ था I इन्होने अमेरिका सहित पूरे यूरोप में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया,उन्होंने सन 1893 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा भाषण की शुरुआत में “मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों “ का जो उद्बोधन किया इस उद्बोधन के लिए उन्हें पूरी दुनिया में जाना जाता है I  उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपनी क्षेत्र की अग्रणी संस्था है । वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे I आइये इस महापुरुष के विचारों से अपने आप को ऊर्जावान करें :

कथन 1. ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार हैI
 

कथन 2. किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं  तो ज़रुर बढाएं अगर नहीं बढ़ा सकते तो अपने हाथ जोड़िये अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये  और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।

कथन 3. अगर धन दूसरों की भलाई  करने में मदद करे  तो इसका कुछ मूल्य है  अन्यथा ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है I

कथन 4. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो  ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये  नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।

कथन 5. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।

कथन 6. जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
 
कथन 7. विश्व एक व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

कथन 8. जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आयेI आप यकीन कर सकते है की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे है।

कथन 9. एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो।

कथन 10. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब  वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।

कथन 11. तुम्हे अन्दर से बाहर की तरफ विकसित होना है। कोई तुम्हे पढ़ा  नहीं सकता  कोई  तुम्हे आध्यात्मिक नहीं बना सकता, तुम्हारी आत्मा  के आलावा  कोई  और गुरु  नहीं  है।

कथन 12. पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है  फिर उसका विरोध होता है  और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।

कथन 13. सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है, वह पुरुष या  स्त्री जो  बदले में कुछ नहीं मांगता  पूर्ण रूप से निस्स्वार्थ  व्यक्ति  सबसे सफल है।

कथन 14. हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता  हैं। हवा बह रही है वो जहाज जिनके पाल खुले हैं  इससे टकराते  हैं  और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं  पर जिनके  पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते। क्या यह हवा की गलती है हम खुद अपना  भाग्य बनाते  हैं।

कथन 15. एक समय में एक काम करो  और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

कथन 16. जो  तुम  सोचते  हो  वो  हो  जाओगे।  यदि तुम  खुद  को  कमजोर  सोचते  हो तुम  कमजोर  हो  जाओगे  अगर  खुद  को  ताकतवर  सोचते  हो  तुम  ताकतवर  हो जाओगे।

कथन 17. मस्तिष्क   की  शक्तियां  सूर्य  की  किरणों  के  समान  हैं।  जब  वो  केन्द्रित  होती हैं  चमक  उठती  हैं।

कथन 18. खुद  को  कमजोर  समझना  सबसे  बड़ा  पाप  है।

कथन 19. जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।

कथन 20. संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है असम्भव से आगे निकल जाना।

कथन 21. स्वयं में बहुत सी कमियों के बावजूद अगर मै स्वयं से प्रेम कर सकता हुँ तो दुसरो में थोड़ी बहुत कमियों की वजह से उनसे घृणा कैसे कर सकता हुँ।

कथन 22. विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते है क्योंकि उनमे समय पर साहस का संचार नही हो पाता। वे भयभीत हो उठते है।

कथन 23. किसी मकसद के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह, गिरो तो बीज की तरह। ताकि दुबारा उगकर उसी मकसद के लिए जंग कर सको।

कथन 24. पवित्रता, धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा सारी बाधाये दूर हो जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं की महान कार्य सभी धीरे -धीरे होते है।

कथन 25. लगातार पवित्र विचार करते रहे बुरे संस्कारो को दबाने के लिए एकमात्र समाधान यही है।

कथन 26. मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है।

कथन 25. दुनिया मज़ाक करे या तिरस्कार उसकी परवाह किये बिना मनुष्य को अपना कर्त्तव्य करते रहना चाहिये।

कथन 26. डर निर्बलता की निशानी है।

कथन 27. जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है,स्वयं को बनाना पड़ता है, जिसने जैसा मार्ग बनाया उसे वैसी ही मंज़िल मिलती है।

कथन 28. कर्म का सिद्धांत कहता है,जैसा कर्म वैसा फल, आज का प्रारब्ध पुरुषार्थ पर अवलम्बित है। आप ही अपने भाग्यविधाता है  यह बात ध्यान में रखकर कठोर परिश्रम पुरुषार्थ में लग जाना चाहिये।

कथन 29. इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी हैI

कथन 30. खड़े हो जाओ हिम्मतवान बनो  ताकतवर बन जाओ सब जवाबदारिया अपने सिर पर ओढ़ लो, और समझो की अपने नसीब के रचियता आप खुद हो।

कथन 31. एक नायक बनो और सदैव कहो “मुझे कोई डर नहीं है”I 

कथन 32. आपको अपने अंदर से बाहर की तरफ विकसित होना पड़ेगा। कोई भी आपको यह नहीं सीखा सकता और न ही कोई आपको आध्यात्मिक बन सकता है। आपकी अपनी अंतरात्मा के अलावा आपका कोई शिक्षक नही है।

कथन 33. एक विचार लो,उस विचार को अपना जीवन बना लो,उसके बारे में सोचो उसके  सपने  देखो, उस  विचार  को  जियो, अपने  मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर  के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो और बाकी  सभी विचार को किनारे रख दो, यही सफल होने का तरीका है।

कथन 34. कभी भी यह न सोचे की आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है।

कथन 35. भय और अधूरी इच्छाएं ही समस्त दुःखो का मूल है।

कथन 36. शुभ एवं स्वस्थ विचारो वाला ही सम्पूर्ण स्वस्थ प्राणी है।

कथन 37. जिंदगी बहुत छोटी है,दुनिया में किसी भी चीज़ का घमंड अस्थाई है पर जीवन केवल वही जी रहा है जो दुसरो के लिए जी रहा है,बाकि सभी जीवित से अधिक मृत है।

कथन 38. ना  खोजो  ना  बचो  जो  आता  है  ले  लो।

कथन 39. कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है,ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है. अगर कोई पाप है,तो वो यही है, ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं I

कथन 40. उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है,जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होताI

कथन 41. सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा I 

कथन 42. हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें,हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमे बसेंगे I 

कथन 43. बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है I

कथन 44. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता ,तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता I

कथन 45. जिस क्षण मैंने यह जान लिया कि भगवान हर एक मानव शरीर रुपी मंदिर में विराजमान हैं, जिस क्षण मैं हर व्यक्ति के सामने श्रद्धा से खड़ा हो गया और उसके भीतर भगवान को देखने लगा, उसी क्षण मैं बन्धनों से मुक्त हूँ, हर वो चीज जो बांधती है नष्ट हो गयी, और मैं स्वतंत्र हूँ I

कथन 46. दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो I 

कथन 47. स्वतंत्र होने का साहस करो. जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो I 

कथन 48. किसी चीज से डरो मत I  तुम अद्भुत काम करोगे,यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है I

कथन 49. सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना, स्वयं पर विश्वास करो I

कथन 50. जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं है I 

कथन 51. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है, विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है, प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है I

आपको ये संग्रह कैसा लगा comment करके जरूर बताएं ,आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है I


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