लोग क्या कहेंगे ..........(LKK)
प्रिय मित्रों आज हम एक बिलकुल ही पुरानी बात पर चर्चा करेंगे ,ये वो बात है जिसे जानते तो सभी हैं पर इस बारे में बात कोई नहीं करता ,आज की इस दुनिया में कौन नहीं सफल होना चाहता परन्तु एक बहुत ही अच्छा वायरस है जिसकी उम्र उतनी ही है जीतनी की इंसान की अर्थात हम जब से पैदा हो जाते हैं ,हमारे साथ साथ यह वायरस भी पैदा होता है, हमारे साथ ही साथ ये जीता है ,आप सोच रहे होंगे की वह कौन सा वायरस है जो हमारे साथ ताउम्र रहता है लेकिन हमे पता नहीं ,ज्यादा इन्तजार न करके मैं आपको बता ही देता हूँ ,तो दोस्तों इस बहुत ही खूबसूरत वायरस का नाम (LKK) यानि "लोग क्या कहेंगे " है I यह एक ऐसा वायरस है जो हमे सफल होने से रोकता है,लेकिन यदि इसे सकारात्मक तरीके से सोचें तो यही एक ऐसा वायरस है जिसका प्रयोग करके हम सफलता की नयी उड़ान भी तय कर सकते हैं,
अब आप सोच रहे होंगे की इसे कैसे अपने लिए उपयोगी बनायें तो आइये इस कहानी के द्वारा समझते है ,यह कहानी मैंने भी कहीं पढ़ी थी ,और संभव है आपने भी पढ़ी ही होगी मैं केवल आपको याद दिला रहा हूँ :
एक लकडहारा जंगल से लकड़ी काट कर, लकड़ी के बोझ को गधे के पीठ पर रख कर ,अपने गदहे के साथ अपने घर लौट रहा था ,जंगल और उसके घर के रस्ते में एक क़स्बा पड़ता था ,
जब वह कसबे से गुजर रहा था तब कुछ लोगों ने उस देखा और
कहा की : ये कैसा बेरहम इंसान है की इतना भारी लकड़ी का बोझ इस माशूम बेजुबान जानवर के ऊपर लाद कर,खुद खाली हाथ चला जा रहा है ,
यह सुनकर लकडहारे को बूरा लगा और उसने ,लकड़ी के बोझ को अपने सिर पर लेकर ,गधे के साथ चलने लगा ,
जब वह कुछ दूर गया तो ,कुछ लोग उसे देख कर पुनः
कहने लगे की : ये कैसा मुर्ख इंसान है की गधे को खाली लिए ,और अपने सिर पर बोझ लिए जा रहा है , इसे तो ये चाहिए की बोझ भी गधे पे और खुद भी गधे पर ही बैठ जाना चाहिए I
यह सुनकर उसे फिर बूरा लगा और लकडहारे ने बोझ को गधे के ऊपर एवं खुद भी उसके ऊपर बैठ गया I
जब वह कुछ दूर गया तो ,कुछ लोग उसे देख कर पुनः
कहने लगे की : यह कैसा निर्दयी इंसान है की गधे के ऊपर लकड़ी तो लादा ही है खुद भी बैठा हुआ है I
यह सुनकर लकडहारे को बूरा लगा और उसने लकडियाँ वही के वही फेंका और गधे को छोड़ दिया ,और स्वयं किसी और कार्य को करने निकल गया I
तो मित्रों ,
यहाँ इस कहानी के द्वारा मैं ये समझाना चाहता हूँ की आप कुछ करें या ना करें लोग तो कुछ न कुछ तो कहेंगे ही ,
यदि लोगों के इन बातों को negative रूप में लेंगे तो आप कोई भी कार्य अपनी योजना के अनुसार नहीं कर पायेंगे ,लेकिन इसी बात को मैं दूसरे तरीके से कहूँ तो आप कोई भी अपने पसंद का कार्य पकड़ लें ,और आगे बढ़ जाएँ ,जब तक शुरू के 21 लोग आपकी बुराई न करें तो समझिये की आपने कार्य को सही ढंग से शुरू नहीं किया है ,और लगभग 101 लोगों ने कार्य को न करने से मना नहीं किया तो समझिये की आपका प्रयास कम है ,अर्थात और अधिक प्रयास की जरूरत है ,
याद रखिये ये वही लोग हैं जो आपके उद्देश्य को बुराई के तौर पर ही सही ,समय समय पर याद दिलाते रहते हैं I बस जरूरत है की आप उनकी बातों को अपना पेट्रोल बना कर सफलता की दूरियां तय करते रहें ,और यकीन मानिए जब आप इनकी पहुँच से आगे निकल जायेंगे तो येही लोग आपका autograph मांगेंगे और आपकी तस्वीर घरों में लगाकर अपने बच्चों को आपकी कहानियां सुनायेंगे I
तो दौड़ जाईये अपनी उड़ान भरने ,लोग क्या कहेंगे (LKK) इसकी फिकर लोगों के ऊपर ही छोड़ दीजिये I
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