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ऐ मंजिल तुझे मैं अपना दर्द नहीं बताऊंगा........



  मंजिल  तुझे  मैं  अपना  दर्द  नहीं  बताऊंगा........
 
थोड़ा  रूका  हूँ  पर  हारा  नहीं  हूँ
ये  मेरा  पड़ाव  है  बस  तुझे  भर्मित करने  की  आस  में ,
जब  साहस  भरा  दिल  लेकर  तेरे  पास आऊंगा,
सफर की सारी कहानी दो शब्दों में बताऊंगा,


 
ऐ मंजिल  तुझे  मैं  अपना  दर्द  नहीं  बताऊंगा.......... 

अब भी कहता  हूँ तू दुश्मन ही सही,
तुझे अपनी जीवन संगिनी बनाऊंगा,
तू बस एक कदम है मेरा ,तुझे हजारों कदम चलके दिखाऊंगा,

ऐ मंजिल  तुझे  मैं  अपना  दर्द  नहीं  बताऊंगा II 

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