प्रिय मित्रों ,
पृथ्वी का निर्माण लगभग 4.5 से 4.6 अरब साल पहले हुआ था और और इस पर जीवन लगभग 3.5 से 4 अरब साल पहले शुरू हुआ ऐसा हमारा विज्ञान बताता है और अभी तक हमारे वैज्ञानिक इस ब्रम्हांड कि ओर-छोर का पता नहीं लगा पाए,कोशिश जारी है ,परंतु पृथ्वी से पहले तो ब्रह्मांड था और है और रहेगा क्योंकि इसी गर्भ गृह मे सभी ग्रह और तारे ,पृथ्वी और हम हैं ,
हम सभी इसी अनंत ब्रह्मांड के हिस्सा हैं , यानि अंश रूप हैं,यानि हम अनंत हैं ,धर्म शस्त्रों के अनुसार हमारा शरीर मरता है हम नहीं ,बस हमे यह पता नहीं कि मरने के बाद हमारे साथ क्या होता है ,हमे पता नहीं तो हम मान लेते हैं कि हम मर गए,यानि मृत्यु हो गई ,परंतु यह कितना सच है आईए जानने किस कोशिश करते है,
क्या आपने बिजली के तारों मे बिजली को जाते देखा है ,नहीं,भई मैंने तो नहीं देखा लेकिन उसी बिजली से बल्ब ,ट्यूबलाइट,मोटर सब चलती है यानि ऊर्जा का प्रवाह होता है ,यानि ऊर्जा विध्यमान है ,ठीक उसी तरह हमारा शरीर जब मरता है तो हम प्रवाहित होकर किसी दूसरे ऊर्जा स्वरूप मे इसी ब्रह्मांड मे विचरण करते हैं अर्थात हम इस अनंत ब्रह्मांड के अनंत जीवन है जिनका सिर्फ स्वरूप बदलता है ,खात्मा नहीं होता ,अर्थात इस ब्रह्मांड मे कुछ भी खत्म नहीं होता बस उसका स्वरूप बदलता है ,
अनंत ब्रह्मांड ,अनंत ऊर्जा,अनंत जीवन यहाँ सबकुछ अनंत है ,फिर हम दुखी क्यों रहते हैं,कभी अपने जीवन को लेकर ,कभी छोटी छोटी बातों ,छोटी छोटी चीजों को लेकर,क्या इस बात पर हमने कभी गौर किया कि , क्या दुखी होना जायज है ,आईए थोड़ा इसका विश्लेषण करते है कुछ प्रश्नों के उत्तर के साथ :-
1.क्या आप इस पृथ्वी पर अपनी मर्जी से पैदा हुए- नहीं
2.क्या आप इस पृथ्वी पर अपनी मर्जी से बोलना चलना सीखे-नहीं
3.क्या आपने अपने माता - पिता को अपनी मर्जी से चुना -नहीं
4.क्या आपको पता है कि आपके साथ कब कौन सी घटना घटित होगी -नहीं
5.क्या आपको यह पता है कि आपकी शादी कब होगी -नहीं
6.क्या आपको पता है कि आप किसके माता - पिता बनेंगे -नहीं
7.क्या आपको पता है कि आपके कितने बच्चे होंगे -नहीं
8. क्या आपको उनके जीवन के बारे मे पता है कि वो उनके जीवन क्या बनेगे या कितना जियेंगे
-नहीं
9.क्या आपको अपनी उम्र का पता है कि आपकी मृत्यु कब होगी -नहीं
ऊपर के सारे प्रश्नों के उत्तर से यह बात साबित होती है कि हमे कुछ भी नहीं पता है ,फिर हम दुखी क्यों रहते हैं यही भ्रम है ,यह भ्रम ही हमे इस ब्रह्मांड से जुडने नहीं देता ,यही भ्रम है जो यह कहता है कि हमारा जीवन हमारा है,बच्चे मेरे हैं ,पत्नी मेरी है ,गाड़ी मेरी है इत्यादि ,परंतु विडंबना ये है कि यह भ्रम भी हमारे इस अनंत ब्रह्मांड का हिस्सा है ,
अब प्रश्न ये है कि इससे बचे कैसे :
इससे बचने के लिए भी प्रकृति या भगवान ने हमे दो चीजें दी हैं एक दिल यानि अंतर्मन और एक दिमाग यानि नियंत्रक ,दिल के विचारों पर दिमाग का कंट्रोल ,यानि भ्रम मे रहिए नियंत्रण के साथ, भ्रम के उत्पन्न किए गए दुखों पर नियंत्रण करके खुश रहिए ,
खूब खुश रहिए ,खुश रहना अपना उद्देश्य बनाईए ,आपका दुख आपके सिवा किसी को पता नहीं चलना चाहिए और आपकी खुशी सबको बताते चलिए ,खुशी को खूब बाटिए ,लोगों को उसमे शामिल कीजिए,खुश रहने के बहाने ढूढ़िए फिर देखिए यह ब्रह्मांड आपको खुशी कि एक अनंत यात्रा पर ले जाएगा ,आपका जीवन आपको हल्का महसूस होने लगेगा,स्थूल शरीर मे रहते हुए भी आप आत्मा ही रहेंगे ,असल मे आप जो हैं,
और अपने जीवन को अनंत खुशियों का उपहार दीजिए ,
by
Mrityunjay sharma